आधा राजकुमार की बुद्धि का जादू | Aadha Rajkumar Ki Kahani | Half Prince Story in Hindi | आधे राजकुमार की कहानी | Hindi Story | Aadha Rajkumar | Aadha Raj Kumar
आधा राजकुमार की कहानी | Aadha Rajkumar Ki Kahani
एक राजा था. उसके सात बेटे थे. छ: तो भले चंगे थे, पर सातवाँ बेटा उन छ्हों से बिल्कुल अलग था. वह शरीर से आधा था. उसकी एक आँख थी, एक कान था, एक हाथ था, और एक पैर था. इस तरह उसका सारा शरीर आधा था, परन्तु वह बहुत ही वीर था.
उसमे आत्मविश्वास की कमी नही थी. जब सभी राजकुमार बड़े हो गए तो उनमें से छह राजकुमार राजा के पास गए. छहों राजकुमारों ने राजा से कहा- महाराज, हम दुनिया को जितने जाएगें. कृपया, आप हमें जाने की अनुमति दीजिए.
राजा ने कहा- जाओम, मेरी सेना भी साथ ले जाओ. छहों राजकुमार सेना लेकर चल पड़े. उन्हें जाता हुआ देखकर सातवाँ राजकुमार जो कि आधे शरीर वाला था, उसकी भी इच्छा हुई कि वह भी जाए.
अंततः आधा राजकुमार भी राजा के पास गया और बोला- महाराज! मैं भी दुनिया जीतने जाऊंगा. राजा ने कहा- जाओ, मेरी ढोलक भी साथ ले जाओ. आधा राजकुमार ढोलक में बैठ गया.
फिर वह बोला- चल मेरी ढोलक. चल चल! आज चले हम लौट कल! लक लुडकने लगी… ढम ढम ढम. चलते चलते आधे को सौ जुगनू मिले. जुगनुओ ने पूछा- आधे आधे तू कहाँ चला?
आधे ने कहा- पहन बहादुर का मैं वेश चला जीतने देश विदेश. जुगनू बोले- आधे आधे! हमे भी साथ ले चल. तू जहाँ कहेगा, हम चलेगे अंधरे में उजाला कर देगे. आधे ने उन्हें साथ ले लिया. सौ जुगनू ढोलक में बैठ गये और ढोलक लुडकने लगी… ढम ढम ढम.
चलते चलते आधे को सौ ततैया मिले. ततैयो ने पूछा- आधे आधे! तू कहाँ चला? आधे ने कहा- पहन बहादुर का मैं वेश चला जीतने देश विदेश. ततैयो ने कहा- आधे आधे, हमे भी साथ ले चल, तू जिसे कहेगा हम उसे डंक मारेगें. आधे ने उन्हें भी साथ ले लिया. ढोलक लुडकने लगी… ढम ढम ढम.
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चलते चलते आधे को धागे की सौ तारें मिली. तारों ने पूछा- आधे आधे! तू कहाँ चला? आधा बोला- पहन बहादुर का मैं वेश चला जीतने देश विदेश. धागे के तारो ने कहा- आधे आधे, हमें भी साथ ले चल. तू जिसे कहेगा, हम उसे बांध देगें. धागे के तार भी ढोलक में बैठ गए.
चलते चलते आधे को एक महल दिखाई दिया. उस महल का राजा बूढा था रानी रो रही थी. आधे ने कहा- रानी रानी! आप मत रोइये. आपका जो काम बिगड़ा है, मुझे बताइये मैं सब ठीक कर दूंगा.
रानी ने कहा- परदेशियो ने हमारे देश पर हमला कर दिया. आप उनको हरा दीजिए, हम आपको राजा बना देगे. हमारा कोई भी बेटा नही है. हम आपको अपना बेटा मान लेंगे. तब रात थी, परदेशी सिपाई अंधरे में छिपे हुए थे.
आधे ने ढोलक के अंदर मुंह डालकर बोला. ओह जुगनूओ… जुगनूओ बाहर निकलो. सब मिलकर अंधरे में चमको. परदेशी सेना पर उजाला कर दो. सौ जुगनू बाहर निकले और चमके तो उजाला हो गया.
परदेशी सिपाई दिखने लगे. अब आधे ने ढोलक में मुंह डालकर बोला- ततैयो… ओह ततैयो, बाहर निकलो परदेशी सिपाहियों को डंक मारों! ततैया ऐसा ही करते है.
अब आधे ने ढोलक में मुंह डालकर बोला- ओह! धागे के तारो… धागे के तारो बाहर निकलो और परदेशी सिपाहियों को बांध दो. तार भी ऐसा ही करता है. वो परदेशी सिपाहियों को हरा देता है और जीत जाता है.
बात महल में पता चलती है तो रानी बहुत खुश होती है और आधे को राजा रानी ने वहां का राजा बना दिया. अब आधा बड़ी शान से अपने घर को चला, बाकि के छह राजकुमार सैर स्पाटा कर खाली हाथ घर वापस आ गये.
आधे का बहुत मान से महाराज उसका स्वागत करता है और बोला- आज से मेरे राज्य का राजा आधे है. अब आधे दो जगह का राजा बन गया.
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शिक्षा: सबकों समान समझकर, जो व्यक्ति बिना चल कपट के सबको अपनी तरफ आकर्षित करता है, अंततः उसको सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता.
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